जीवन विचित्र है। ग्रेजुएशन के कुछ समय बाद तक इंसान घर से बाहर जाने के लिए जॉब ढूंढने की कोशिश करता रहता है। जॉब के लिए घर से बाहर आने के बाद, ताउम्र वही इंसान अपने घर की यादों और स्वाद के लिए भटकता रहता है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति से लेखक भी ग्रसित है। मध्यप्रदेश की इन सुरीली सी वादियों में वैसे तो अपना एक स्वाद है, जो की लेखक की जीभ पर भी लग चुका है, लेकिन फिर भी उस घर के स्वाद के लिए मन पता नही क्यों लालायित रहता है। आसपास के कई लोगों ने उत्तर भारत के स्वाद के लिए मशहूर एक ढाबा कई बार बताया था लेखक को। नाम है जस्सी दा ढाबा। जनवरी 14, 2024 को यूं ही खयाल आया की चलो वहां पर घूम कर आया जाए। आमला से इटारसी की तरफ जब चलेंगे तो लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर ये ढाबा आपको अपने बाएं हाथ पर ही मिल जायेगा। योजना के तहत, दोपहर का खाना उस ढाबे पर करना तय हुआ। स्वाद का ठीक ठाक पता करने के लिए सुबह के नाश्ते पर ध्यान केंद्रित न करके, हम दो लोग अपने गंतव्य के लिए निकल गए। रास्ता बहुत अच्छा है। अगर आमला से हम बैतूल तक छोटे रास्ते का चुनाव करें, तो टोल भी बचाया जा सकता है...