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Showing posts from July, 2021

नहिया का तालाब।

नहिया का तालाब।  आमला रेलवे स्टेशन से लगभग दस किलोमीटर दूर पंखा रोड पर स्थित है नहिया नाम का एक छोटा सा गांव। गांव के शुरुआत में ही एक छोटा सा पुराना कुआं गांव की एक पहचान सी बन गया है। गांव के आसपास कई खनन के लिए प्लांट भी लगे हुए हैं । एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी गांव में स्थित है। कुछ परचून की दुकानें। सब कुछ लगभग वैसा ही जैसा कि भारत के किसी आम से गांव में पाया जाता है।  अब आते हैं मुद्दे की बात पर।    गांव में एक छोटा सा तालाब पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया है।  बरसात के दिनों में इस तालाब की खूबसूरती देखते ही बनती है।  तालाब के चारों और पथरीली जमीन बहुत छोटे छोटे पौधों को अपने आसपास से पनपने के लिए अनुमति शायद बरसात के समय दे देती है। यही पौधे इस सूखे से क्षेत्र में बरसात के दिनों में अलग ही घटा बिखेरते हैं।  इस बार की बरसात में, जुलाई २८, २०२१ को मैंने भी इस तालाब पर जाने का निश्चय किया।  इस तालाब की खूबसूरती को मैंने अपने मोबाइल के कैमरे में कैद करने की एक छोटी सी कोशिश कि है, शायद यह कोशिश आप लोगों को पसंद आ...

आमला का रामटेक मंदिर, बरसात के दिनों में

  आमला का रामटेक मंदिर, बरसात के दिनों में   आज कुछ  मित्रों के साथ रामटेक मंदिर जाने  का मौका मिला। अमला रेलवे स्टेशन से अगर आप बैतूल की तरफ चलेंगे तो लगभग ५ किलोमीटर की दुरी पर हासलपुर गाँव में यह मंदिर स्थित है। मंदिर आसपास की जमीन से कुछ  ऊंचाई पर स्थित है। संभवतया ये ऊंचाई आसपास की दूसरी पहाड़ियों की तुलना में सर्वाधिक है।   मंदिर पहुँचने का रास्ता मंदिर में जाने के लिए बहुत ही आसानी से पूरी की जा सकने वाली ऊंचाई है एवं उसके बाद लगभग बीस सीढ़ियां है। बहुत ही शांति के साथ भी अगर शरू किया जाये तो महज दस मिनट में मुख्य सड़क से मंदिर तक पैदल यात्रा पूरी की जा सकती है। दुपहिया वाहन से तो सीधे मंदिर तक की सीढ़ियों तक का सफर भी पूरा कर सकते हैं। चौपहिया वहां से हालांकि ऐसा करना शायद मुश्किल होगा , क्योंकि रास्ता बहुत ही उबड़ खाबड़ एवं पथरीला है। हालाँकि चौपहिया वाहन को मुख्य मार्ग के पास ही छोड़ सकते हैं, बिना किसी असुरक्षा की भावना के।  मंदिर प्रांगण की ओर  बढ़ते हुए हम लोग   मंदिर प्रांगण जाने वाली सीढ़ियाँ मंदिर प्रांगण की  सीढ़ियों से दि...