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Showing posts from May, 2022

छोटा सा आशियाना।

झर झर......... चिक चिक...... फिर से वही आवाज ..... लगता है फिर से सुकन्या का अभ्यास दरवाजे से बाहर शुरू हो गया है ! उसे देखना तो चाहती हूं , लेकिन कही वो डर ना जाए यही सोच के अंदर बैठी हूं । आप सब सोच रहे होंगे कि ये सुकन्या है कोन? ये है एक प्यारी सी , छोटी सी गिलहरी जिसने अभी अभी हमारे रसोई के बाहर छोटे से छज्जे पर अपना आशियाना बना लिया है । वो है इतनी प्यारी और शर्मीली सी,कि उसका नाम मैंने सुकन्या रख दिया है। कुछ दिनों से देख रही हूं कि दिन भर दौड़ दौड़ कर फूस जैसा कुछ ले कर बगीचे से ऊपर छत की तरफ जाती है जिस से मुझे समझ ही न आए की ये सब सामान वो जमा कहां कर रही हैं  फिर पूरा चक्कर लगा कर छज्जे तक आती होगी । अब समझ आया कि ये सब तैयारी हो रही थी एक छोटे से गिल्लू गिलहरी की।। जी हां अभी आशियाने में एक छोटा गिलहरी भी आ गया है , इसीलिए पास जाकर नही देखा की कही वह अपने बच्चे को लेकर असुरक्षित महसूस न करें । बच्चा अभी बहुत छोटा हैं इसीलिए बाहर नही आ रहा था, आप जानकर हैरान होंगे की गिलहरी की नजरे हमसे बहुत तेज होती हैं लेकिन गिलहरी का बच्चा देख भी नहीं सकता जन्म के कुछ दिनो...

सहारनपुर, 16 मई 2022

आज दिनाक 16 मई 2022 को अमर उजाला सहारनपुर देहात के एडिशन में नीचे दिए गए दो अलग अलग समाचार पढ़ने को मिले। ये समाचार बहुत दिनो से मेरे दिमाग में चल रहे विचारों को ही पुष्ट करते हैं। आगे बढ़ने से पहले आग्रह है कि इन समाचारों पर गौर करें : ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत लंबे समय से देखा जा रहा है कि बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति पर लोग बहुत आसानी से विश्वास कर लेते हैं। अगर कोई बाहरी व्यक्ति गांव में आकर अपनी कोई समस्या बताकर कुछ आर्थिक सहायता का आग्रह इनसे करे, तो ये लोग सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। किसी की सहायता करना गलत नही है, लेकिन ऊपर दी गई खबरों से स्पष्ट है कि समाज आज कल इतना भी अच्छा नही रह गया है।  1. सबसे पहली बात इलाज के नाम पर झोला छाप डॉक्टर्स पर विश्वास करना या किसी तंत्र विद्या पर विश्वास करना। जिस डॉक्टर या झोला छाप पर आप आंख मूंद कर विश्वास कर रहे हैं वो बहुत ही गलत आदमी हो सकता है। बहुत सी बीमारियां सिर्फ अच्छा भोजन एवं अच्छी दिनचर्या से सुधारी जा सकती हैं। अच्छा भोजन महंगा भी नही है। समोसा ज्यादा महंगा पड़ता है, जबकि उतने ही रुपए में खरीदे गए ...

मोरन ढाणा का आम का एक बाग

मोरन ढाणा का आम का एक बाग।  आज 2022 मई की तेरह तारीख को बैतूल जिले के मोरण ढाणा गांव के एक आम के बाग में घूमने का मौका मिला। यह गांव, आमला तहसील में एवं तहसील मुख्यालय से, उत्तर दिशा में लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  आमला तहसील से उत्तर की तरफ का क्षेत्र पठारी एवं पथरीली जमीन से बना हुआ है। भूजल स्तर इस दिशा में काफी नीचे है और इसी वजह से इस दिशा में फसल उतनी अच्छी पैदावार शायद नहीं देती है।  आमला से बैतूल जाते हुए रास्ते में, पानी की कमी से सूखे हुए से खेतों के बीच आम के दो बगीचे कौतूहल का विषय रहते हैं। हमेशा से मन था की इनमे से एक बगीचे को जाकर देखा जाए, लेकिन बिना किसी परिचय के किसी के बगीचे में जाना भी एक दम से अच्छा नहीं लगता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चारों तरफ आम के बगीचों की भरमार है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहने के कारण ये दो आम के बगीचे मेरा ध्यान अनायास ही अपनी तरफ खींचते थे। संयोग से पता चला की एक बगीचा मेरे ही एक स्थानीय मित्र के परिवार का है। मैंने अपने मित्र से बगीचा देखने का आग्रह किया जिसको की उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया एवं...