झर झर......... चिक चिक......
फिर से वही आवाज ..... लगता है फिर से सुकन्या का अभ्यास दरवाजे से बाहर शुरू हो गया है ! उसे देखना तो चाहती हूं , लेकिन कही वो डर ना जाए यही सोच के अंदर बैठी हूं ।
आप सब सोच रहे होंगे कि ये सुकन्या है कोन?
ये है एक प्यारी सी , छोटी सी गिलहरी जिसने अभी अभी हमारे रसोई के बाहर छोटे से छज्जे पर अपना आशियाना बना लिया है । वो है इतनी प्यारी और शर्मीली सी,कि उसका नाम मैंने सुकन्या रख दिया है।
कुछ दिनों से देख रही हूं कि दिन भर दौड़ दौड़ कर फूस जैसा कुछ ले कर बगीचे से ऊपर छत की तरफ जाती है जिस से मुझे समझ ही न आए की ये सब सामान वो जमा कहां कर रही हैं
फिर पूरा चक्कर लगा कर छज्जे तक आती होगी ।
अब समझ आया कि ये सब तैयारी हो रही थी एक छोटे से गिल्लू गिलहरी की।। जी हां अभी आशियाने में एक छोटा गिलहरी भी आ गया है , इसीलिए पास जाकर नही देखा की कही वह अपने बच्चे को लेकर असुरक्षित महसूस न करें ।
बच्चा अभी बहुत छोटा हैं इसीलिए बाहर नही आ रहा था, आप जानकर हैरान होंगे की गिलहरी की नजरे हमसे बहुत तेज होती हैं लेकिन गिलहरी का बच्चा देख भी नहीं सकता जन्म के कुछ दिनों तक।
मेरे बाहर आते ही सुकन्या की मेरे ऊपर ताक झांक शुरू हो ही जाती है शायद अपने बच्चे की फिकर में। धीरे धीरे मुझे वहां रोज देख कर सहज महसूस करने लगी है शायद इसीलिए ही आज छोटे गिल्लू गिलहरी के साथ अब बाहर दिखाने लगी है ।
मेरे द्वारा कुछ दिन पहले लगाए गए गेंहू की घास को उसने अपनी भुख का शिकार बना लिया हैं पर मैं खुश हूं की उसको उसका मनपसंद खाना मिल रहा है ।
मैंने कुछ अनाज के दाने और पानी बाहर रखना शुरू कर दिया है और वो उसका खूब लुफ्त भी ले रहे हैं।
लेकिन मैं आप सबको बताना चाहती हूं कि मैं उसकी परवरिश देख कर हैरान हूं।
अभी दो दिनों से सुकन्या ने गिल्लू गिलहरी को ऊपर दीवार पर चढ़ने का अभ्यास शुरू करवा दिया है और ये अभ्यास हमारे बाहरी जालीदार दरवाजे पर जारी है , शायद जालीदार दरवाजा होने से उनके पंजे अच्छे से और आसानी से पकड़ बना लेते है इसीलिए जालीदार दरवाजे पर वो आसानी से चढ़ पा रहा हैं लेकिन दरवाजे के लकड़ी वाले हिस्से पर पैर पड़ते ही वो धड़ाम से नीचे गिर जाता है ।
यही दरवाजा है जहां पर बाहर की तरफ अभ्यास जारी रहता है , अभ्यास के दौरान तस्वीर लेना मैने उचित नहीं समझा की कहीं वह असहज महसूस करे और उसके अभ्यास में कोई व्यवधान आए।
पहले मुझे फिक्र हुई की कही उसे चोट तो नही लग गई लेकिन वो बिलकुल ठीक है और आठ दस बार चढ़ने का अभ्यास कर चुका था कल भी लेकिन अभी छोटा है इसीलिए ऊपर तक नही चढ़ पाया है ।
आज मेरे आते ही वो दोनो फिर से आशियाने में जा छुपे है शायद कल फिर से आयेंगे अभ्यास करने जब तक की छोटा गिल्लू गिलहरी लकड़ी वाले हिस्से को पार करना ना सिख लें तब तक ये अभ्यास जारी रहेगा और तभी तक सुकन्या की परवरिश और फिक्र भी ।
आपको छोटे गिल्लू गिलहरी का नाम सूझे तो बताए जरूर ।
Very good writing skills.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है इसका नाम गूलु रखना
ReplyDeleteOk
Deleteमेरे पास भी गिलहरी बहुत आतीं हैं और मुझे बहुत सुंदर लगती है
ReplyDeleteThey are beautiful
DeleteBahaut hi sundar likha hua hai. Aise hi likhte raho.
ReplyDeleteThank you
Deleteबहुत ही सुंदर शब्दों में बयां की है, सुकन्या और गुलू गिलहरी की कहानी! इस कहानी से हमें पता चलता है कि सभी माताऐ अपने बच्चो से कितना प्यार करती है, और अच्छी परवरिश भी करती है! इसलिए सभी कोअपनी माँ का आदर करना चाहिए!
ReplyDeleteJi bilkul
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