AMLA-BETUL ME RENUKA MATA MANDIR KE DARSHAN | बैतूल जिले में कोरोना लॉकडॉउन का अंत एवं रेणुका माता मंदिर (छावल) के दर्शन |
बैतूल जिले में कोरोना लॉकडॉउन का अंत एवं रेणुका माता मंदिर (छावल) के दर्शन |
पूरा देश पिछले कुछ समय से कोरोनावायरस महामारी के दंश को झेल रहा था। सरकार द्वारा लगाए गए लॉक डाउन नियमों का पालन करते हुए, पिछले कुछ दिनों से लोग बस अपने घरों में ही दुबक कर रह गए थे।
रेणुका माता मंदिर
रेणुका माता मंदिर क्षेत्रीय लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय एवं मान्यता रखता है। मंदिर के प्रांगण में ही रहने वाले एक बाबा जी द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। मंदिर निर्माण में छावल ग्राम पंचायत का योगदान भी उल्लेखनीय माना जाता है।
मंदिर परिसर आसपास की भूमि से बहुत हल्की सी ऊंचाई पर स्थित है, और आसपास कोई रहवासी जगह भी नहीं है।
मंदिर परिसर के मुख्य दरवाजे से मंदिर तक जाने के रास्ते में कुछ दुकानें मौजूद हैं जिनसे की आप प्रसाद , नारियल इत्यादि खरीद सकते हैं। बच्चों के खिलोने खरीदने के लिए भी कुछ दुकानें यहाँ मौजूद हैं।
मुख्य दरवाजे से मंदिर जाने के रास्ते में मौजूद दुकानें। |
प्रसाद खरीद कर हम ऊपर गए एवं सर्वप्रथम माता मंदिर के बाहर स्थापित गणेश भगवान के दर्शन हमने किए। जब पिछली बार हम लोग मंदिर के दर्शन के लिए गए थे तो गणेश भगवन की प्रतिमा के सामने एक बूढी माता जी बैठा करती थी। लेकिन आज वो वहां पर नहीं थी। कोरोना काल में शायद सतर्कता बरतते हुए वो अभी अकेले अपने घर पर आराम कर रही होंगी। गणेश भगवन जी के सामने नतमस्तक होने के बाद हमने मंदिर के अंदर जाकर माँ रेणुका के दर्शन किये। माँ रेणुका जी के मंदिर के बाहर स्थापित नाग देवता जी की प्रतिमा के दर्शन भी उसके बाद हमने किये।
भैरव जी का मंदिर भी, रेणुका माता मंदिर के सामने ही उपस्थित है।
मंदिर के पीछे के प्रांगण में आम के बहुत सुन्दर कुछ पेड़ भी हैं, जिनके निचे आराम से बैठा जा सकता है। ४ या ५ इमली के पेड़ भी इस पीछे वाले प्रांगण में मौजूद हैं जिनकी इमलियों का स्वाद भी हम दोनों मित्रों ने इस बार किया।
मंदिर के पीछे का सुन्दर प्रांगण एवं आम व् इमली के पेड़ |
मंदिर के पिछली तरफ पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के लिए ही शौचालय भी हैं।
पीने के पानी के लिए मंदिर द्वारा पानी का प्लास्टिक टैंकों में भण्डारण करके पाइप के माध्यम प्रबंध किया गया है। मदिर के पास ही चाय एवं हल्के नाश्ते के लिए कुछ दुकानें मौजूद हैं जिन पर चाय , बोटलेड वाटर , नमकीन बिस्कुट आइसक्रीम जैसी सामान्य चीज़ें उपलब्ध हैं। मंदिर का पूरा प्रांगण हरा भरा है। यद्यपि मंदिर के आस पास कोई गाँव या क़स्बा नहीं है किन्तु फिर भी आसपास के क्षेत्रों से ग्रामीण लोग परिवार सहित मंदिर में आते ही रहते हैं। अतः सुरक्षा की दृष्टि से भी यह अपने परिवार के साथ आने के लिए उपयुक्त है। बहुत सारे परिवार खुद खाना बना कर मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, तथा दर्शन के पश्चात यहीं किसी पेड़ के पास बैठ कर भोजन करते हैं।
मंदिर मुख्य द्धार पर बैठने की व्यवस्था |
वापसी
बोडकी वापस आने के लिए हम दोनों लोगों ने मुख्य सड़क मार्ग को छोड़कर ग्रामीण रास्तों से आने का निर्णय लिया।
रास्ते में एक जगह जामुन के पेड़ से नीच गिरे हुए मीठे जामुन का आनंद भी लिया।
एक खेत में काम कर रहे बाबा से मुलाकात भी आने वाले रास्ते पर ही हुई, जिन्होंने बदलते समय एवं क्षेत्र में घटते भूजल स्तर के बारे में हमको बताया। उनकी सरलता एवं सहजता ने हमको बहुत कुछ, बहुत ही कम समय में सिखा दिया।
बाबा के खेत के पास खड़ा हमारा वाहन |
मानसिक रूप से थका देने वाले लॉक डाउन के पश्चात , इस संक्षिप्त सी यात्रा एवं रेणुका माता मंदिर के दर्शन ने हमको एक नयी ऊर्जा से भर दिया।
-*-इति सिद्धं-*-
Kya baat h mahashya ..hm to phad lene matr se hi aanad se abhibhut ho gye...aap to sakshat darshan kar aaye h to aapki urja or aanand to sambhavata charam par hi hoga...ati uttam varnan ek choti si yatra ka
ReplyDeletethank you very Much
DeleteAti uttam
ReplyDeleteThan you Very Much
DeleteGajjab sir....
ReplyDeleteThank you Brother
DeleteGood one sir, keep writing 👍
ReplyDeleteThank you Brother
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