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नागपुर यात्रा

आज दिनाक १५ जून २०२२ को एक बार फिर से नागपुर जाने का अवसर मिला है। इसी यात्रा के दौरान की कुछ टिप्पणियां प्रस्तुत की जा रही है ।
१९. पहला चाय ब्रेक। 

१८. महाराष्ट्र की सीमा में प्रवेश। नागपुर अभी  लगभग ६० किलोमीटर ही दूर है। 
१७. जामसांवली जाने वाले रास्ते को अभी अभी पास किया। इस कस्बे में एक हनुमान मंदिर स्थित है। इस मंदिर की लोकप्रियता महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के जिलों में बहुत ज्यादा है। मैंने लेकिन अभी तक इस मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं। 
१६. मामा का ढाबा नाम से एक ढाबा दिखाई पड़ा। अजीब नाम है। अगर ढाबा मामा का है, तो क्या भांजा चला रहा है ? और अगर भांजा चला रहा है तो अपने नाम से क्यों नहीं बनाया ? मामा का नाम क्यों दिया ? 
१५. रास्ते में नए नए पेट्रोल स्टेशन बन रहे है । साफ है कि अभी आने वाले कुछ वर्षो में पेट्रोल वाहनों को संख्या में उतनी भी कमी नहीं आएगी। हां लेकिन यही पेट्रोल पंप को आसानी से इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन में बदला जा सकता है। 
१४. मोर डोंगरी एवं मोहगांव। 
१३. गढ़खापा। 
१२. फिर नीलकंठ। 
११. पांढुर्णा कस्बे के बाद फिर से गांव : परसोड़ी। 
१०. पांढुरना नगर को अभी अभी पास किया। एक बड़ा सा कस्बा है पांढुरना । मध्यप्रदेश की अंतिम तहसील है पांढुरना। एक मंदिर भी इस कस्बे में स्थित है। नाम एक दम से याद नही आ रहा है। बाद में अपडेट करूंगा। 
९. एक और गांव :चिचखेड़ा। 
८. वर्तमान में रेलवे लाइन रोड की समांतर चल रहा है। रेलवे लाइन पर चलती मालगाड़ी बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ रही है। 
७. संतरे के बाग रोड के दोनो तरफ शुरू हो गए हैं। संतरे के पेड़ बहुत ज्यादा बड़े नही होते हैं। गर्मी की आवश्यकता शायद इन पेड़ को ज्यादा होती हैं। हल्का पानी एवं गर्मी शायद इन पेड़ के लिए उपयुक्त होता हैं। खैर तिगांव को अभी अभी पास किया है। 
६. मोही गांव को अभी अभी पास किया। एक और छोटा सा गांव हैं। गाड़ी में बारिश बन जाना गाना चालू है। सफर आनंद में चल रहा हैं । 
५. नागपुर अभी भी एक सौ तीन किलोमीटर दूर दिखाई पड़ रहा है । घाट सेक्शन प्रारंभ हो चुका है। एक दम से ऊंचाई बढ़ी है रोड पर। भारी वाहन इस जगह पर बहुत धीमे ही चल पा रहे हैं। 
४. पठारी क्षेत्र को पास कर रहे हैं। पहाड़ को काट कर सड़क यहां पर बनाई गई है। 
३. मल्हारा पंखा गांव को पास किया है अभी अभी। इस गांव के आस पास थोड़ा सा समतल भूमि दिखाई पड़ा। 
२. ज्यादातर गांव में घर खपरैल के बने हुए हैं। गांव ज्यादातर अधिक हरियाली वाले क्षेत्र में बसे हुए हैं। 
१. मुलताई कस्बा से आगे बढ़ चुके हैं। चारों तरफ पठारी भाग है। छोटे छोटे से गांव हैं। पेड़ों की संख्या बहुतायत में हैं। 

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