आमला से गांव देहात की तरफ जाते हुए मुझे अचानक ही एक घाना दिखाई दिया। किसी छोटे स्तर पर बनाए गए चीनी मिल को घाना, इस क्षेत्र में कहा जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में इसी स्तर के चीनी मिलों को चरखी के नाम से जाना जाता है। अचानक ही मेरी नजर उक्त घाने में काम करने वाले एक व्यक्ति पर पड़ी। इस व्यक्ति ने कुर्ता पायजामा पहना हुआ था। कुर्ते पजामे को पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजकीय पोशाक कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगभग हर एक व्यक्ति कुर्ते पजामे की पोशाक ही धारण करके रहता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहने जाने वाले इन कुर्ते पजामे की बनावट भी लगभग एक जैसी रहती है। भले ही कोई आम आदमी हो, नेता हो, अमीर हो, गरीब हो, परंतु, कुर्ते पजामे की बनावट लगभग सभी व्यक्तियों की एक जैसी रहती है। हालांकि कपड़ों के रेशे, शत प्रतिशत सभी व्यक्तियों के अलग-अलग पाए जाएंगे। खैर छोड़िए, अब आज की बात को आगे बढ़ाते हैं। इस व्यक्ति द्वारा पहने गए कुर्ते पजामे की बनावट को देखते ही मैं समझ गया कि यह व्यक्ति सहारनपुर या इसके आसपास के ही किसे जिले से संबं...
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