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Showing posts from 2021

जवाहर नवोदय विद्यालय बैतूल की एक यात्रा। JNV BETUL

OCTOBER 15, 2021 को विजयदशमी का पावन पर्व था। मुल्ताई जाने का यूंही मन हुआ। कस्बे में घूमते घूमते अहसास हुआ कि भीड़ बहुत कम है। सब कुछ खाली खाली सा नजर आ रहा था। शायद इस क्षेत्र में दुर्गा शक्ति माता की मूर्तियों के विसर्जन का दिन आज था। सभी लोग विसर्जन की क्रियाओं में लगे हुए थे, तो बाजार खाली नजर आ रहे होंगे। एक छोटे से ढाबे पर कुछ खाने का मन हुआ। खाते खाते गूगल मैप पर रास्ते के बारे में पता करते हुए पता चला कि मुल्ताई से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर, बेतुल जिले का नवोदय विद्यालय स्थित है। चूंकि लेखक स्वयं उत्तराखंड के एक नवोदय से पढ़ा हुआ है, तो मन में अकस्मात ही नवोदय को देखने को कौतूहल हुआ। अपनी बाइक पर सवार होकर, हम पहुंच गए नवोदय विद्यालय बैतूल।  पहुंचने का रास्ता ।  मुल्ताई कस्बे से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर नवोदय स्थित है। पट्टन नाम कि एक छोटी सी जगह है, जिसके नाम पर बेतूल जिले का नवोदय है। जिला मुख्यालय हालांकि नवोदय से कम से कम 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। मुल्ताई से नवोदय का रास्ता बहुत अच्छा है। पठारी क्षेत्र होने के कारण, बरसात के बाद का समय एक अलग तरह की...

आमला स्थित पचामा झरना।

आमला तहसील का पचामा झरना।  आज दिनांक 12 सितंबर 2021, दिन रविवार को हम दो मित्रों ने आमला तहसील के पचामा स्थित झरने को देखने को कार्यक्रम परिवार सहित बनाया।  बेतुल जिले की आमला तहसील के ग्रामीण अंचल को प्रकृति ने बहुत ही खूबसूरती से संवारा है। और खूबसूरती भी ऐसी की, वर्ष के अलग अलग महीनों में एक ही स्थान आपको अलग अलग अहसास प्रदान करता है। पचामा झरना भी कुछ इसी तरह की जगह है। अगर इसी झरने को ग्रीष्म ऋतु में देखा जाए, तो झरना लगभग सूख चुका होता है, और किसी द्वारा ये बताया जाना कि यहां बरसात के दिनों में झरना भी होता है, एक अचंभित सी करने वाली बात लगती है। आमला तहसील की इस झरने के जैसी कितनी ही सारी जगह ऐसी हैं जिनको की तहसील में उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जितनी कि दी जाने की वजह से बाकी कई स्थान पर्यटक स्थल बन चुके हैं। देहरादून जैसी जगह पर, पचामा जैसे झरने न सिर्फ एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है, बल्कि पर्यटकों के समूह को एक महत्वपूर्ण आकर्षण केंद्र भी है। खैर बहुत हुई इधर उधर की बातें, अब कुछ झरने के बारे में भी आपको बता दिया जाए।  आगे बढ़ने से पहले एक बार झरने के पानी की कल क...

मेरे दादा जी।

मेरे दादा जी।  21 अगस्त 2021, दिन शनिवार को मेरे दादा जी का देहावसान हो गया। उनकी उम्र लगभग 90 से 95 वर्ष के बीच मानी जाती है। अंत के अगर लगभग 2 महीनों को छोड़ दिया जाए, तो वो लगभग पूर्णतया स्वस्थ प्रतीत होते थे। हम सभी , उनके पोते, या शुद्ध हिंदी में कहें तो पोत्र उनको प्यार से बाब्बा जी कहकर बुलाते थे। आने वाले सभी मेहमानों को वो हमारा परिचय लगभग हर बार अपने पोते के रूप में ही दिया करते थे।  हम लोग लगभग 16 अगस्त 2021 को घर पहुंच गए थे, एवं अंत के कुछ दिन उनके सानिध्य में रहने का अवसर हमें भी मिला। 21अगस्त 2021 को दिन में लगभग 2 बजे उन्होंने कुछ बात कहनी चाही जरूर, लेकिन उनकी आवाज को पास बैठे कोई भी पारिवारिक सदस्य शायद समझ नहीं पाया। अंत में उन्होंने अपने हाथो के इशारे से कुछ बात कहनी चाही, जिसका अलग अलग मंतव्य पारिवारिक सदस्यों ने निकाला। मिला जुला सा अर्थ यह निकला कि वो सभी सदस्यों को मिल जुल कर रहने के लिए बोल रहे थे।  अंत के कुछ दिनों में उनके साथ रहते हुए, कई बार उनसे बात की। वो बीमार होने के कारण बोल नहीं पाते थे, लेकिन हर एक बात को समझते जरूर थे। वो हृदय रोग से प...

आमला से घर तक की यात्रा।

लगभग ०६ महीनों बाद आज दिनांक १५ अगस्त २०२१ को घर जाने का फिर से मौका मिला है। छुट्टियां देने में वरिष्ठ अधिकारी गण एक मुझ जैसे सामान्य से कर्मचारी को भी अंदेशा दिला देते हैं कि मेरे बिना कार्यालय में जैसे सब कुछ जैसे समाप्त हो जाएगा। हालांकि ऐसा कुछ भी आम दिनों में नजर नहीं आता है जब प्रतिदिन उनके कोपभजन के शिकार हम जैसे साधारण से कर्मचारी होते रहते हैं।  देश की गिरती हुई अर्थव्यवस्था के अपराधबोध से ग्रस्त हर एक सरकारी कर्मचारी छुट्टी लेने के समय हो जाता है।  खैर ठीक ऐसे ही विचारों के साथ, लगभग ६ महीने बाद हमें भी छुट्टी मिली है, और आमला स्टेशन से हमारी यात्रा आरंभ होती है।     २. यात्रा का दूसरा पड़ाव भी आ गया देखते देखते। स्टेशन का नाम है बेतुल। जिला मुख्यालय भी है। Corona ki वजह से स्टेशन पर रहने वाली चहल पहल गायब है। इक्का दुक्का लोग प्लेटफॉर्म पर बैठे दिखाई पड़ जाते हैं। स्टेशन पर बने छोटे छोटे से स्टॉल भी सूने ही पड़े हुए हैं।  ३. बैतूल से इटारसी के बीच का रास्ता सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच से होकर निकलता है। रास्ते में कहीं पर चढ़...

आमला से मुंबई यात्रा

आमला से मुंबई यात्रा  ४. बेतुल शहर क्रॉस हो चुका है। सुबह के लगभग ११ बज चुके हैं।  ३. पहला टोल नका क्रॉस किया । २. पंखा से बेतुल हाईवे पर यात्रा जारी।  १. आज ०१ अगस्त २०२१ को आमला से मुंबई जाने की यात्रा की शुरुआत हुई। बरसात का दिन है। धूप बिल्कुल नहीं है। मौसम खुशनुमा है। यात्रा बस शुरू भर ही हुई है। 

नहिया का तालाब।

नहिया का तालाब।  आमला रेलवे स्टेशन से लगभग दस किलोमीटर दूर पंखा रोड पर स्थित है नहिया नाम का एक छोटा सा गांव। गांव के शुरुआत में ही एक छोटा सा पुराना कुआं गांव की एक पहचान सी बन गया है। गांव के आसपास कई खनन के लिए प्लांट भी लगे हुए हैं । एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी गांव में स्थित है। कुछ परचून की दुकानें। सब कुछ लगभग वैसा ही जैसा कि भारत के किसी आम से गांव में पाया जाता है।  अब आते हैं मुद्दे की बात पर।    गांव में एक छोटा सा तालाब पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया है।  बरसात के दिनों में इस तालाब की खूबसूरती देखते ही बनती है।  तालाब के चारों और पथरीली जमीन बहुत छोटे छोटे पौधों को अपने आसपास से पनपने के लिए अनुमति शायद बरसात के समय दे देती है। यही पौधे इस सूखे से क्षेत्र में बरसात के दिनों में अलग ही घटा बिखेरते हैं।  इस बार की बरसात में, जुलाई २८, २०२१ को मैंने भी इस तालाब पर जाने का निश्चय किया।  इस तालाब की खूबसूरती को मैंने अपने मोबाइल के कैमरे में कैद करने की एक छोटी सी कोशिश कि है, शायद यह कोशिश आप लोगों को पसंद आ...

आमला का रामटेक मंदिर, बरसात के दिनों में

  आमला का रामटेक मंदिर, बरसात के दिनों में   आज कुछ  मित्रों के साथ रामटेक मंदिर जाने  का मौका मिला। अमला रेलवे स्टेशन से अगर आप बैतूल की तरफ चलेंगे तो लगभग ५ किलोमीटर की दुरी पर हासलपुर गाँव में यह मंदिर स्थित है। मंदिर आसपास की जमीन से कुछ  ऊंचाई पर स्थित है। संभवतया ये ऊंचाई आसपास की दूसरी पहाड़ियों की तुलना में सर्वाधिक है।   मंदिर पहुँचने का रास्ता मंदिर में जाने के लिए बहुत ही आसानी से पूरी की जा सकने वाली ऊंचाई है एवं उसके बाद लगभग बीस सीढ़ियां है। बहुत ही शांति के साथ भी अगर शरू किया जाये तो महज दस मिनट में मुख्य सड़क से मंदिर तक पैदल यात्रा पूरी की जा सकती है। दुपहिया वाहन से तो सीधे मंदिर तक की सीढ़ियों तक का सफर भी पूरा कर सकते हैं। चौपहिया वहां से हालांकि ऐसा करना शायद मुश्किल होगा , क्योंकि रास्ता बहुत ही उबड़ खाबड़ एवं पथरीला है। हालाँकि चौपहिया वाहन को मुख्य मार्ग के पास ही छोड़ सकते हैं, बिना किसी असुरक्षा की भावना के।  मंदिर प्रांगण की ओर  बढ़ते हुए हम लोग   मंदिर प्रांगण जाने वाली सीढ़ियाँ मंदिर प्रांगण की  सीढ़ियों से दि...

AMLA-BETUL ME RENUKA MATA MANDIR KE DARSHAN | बैतूल जिले में कोरोना लॉकडॉउन का अंत एवं रेणुका माता मंदिर (छावल) के दर्शन |

बैतूल जिले में कोरोना लॉकडॉउन का अंत एवं रेणुका माता मंदिर (छावल) के दर्शन | पूरा देश पिछले कुछ समय से कोरोनावायरस महामारी के दंश को झेल रहा था। सरकार द्वारा लगाए गए लॉक डाउन नियमों का पालन करते हुए, पिछले कुछ दिनों से लोग बस अपने घरों में ही दुबक कर रह गए थे।  इसी कड़ी में हम भी बीते करीब एक महीने से आमला तहसील के एक छोटे से गांव बोड़की के अपने गरीबखाने के एक कोने में दुबके बैठे थे। आमला बैतूल मौसम हमेशा बहुत अच्छा ही रहता है।  आमला बैतूल का समाचार इतना जयादा सुनाई नहीं पड़ता क्योंकि यह एक शांत सी छोटी तहसील है।    बो़डकी नहीं जानते ?  अरे, बेतुल शहर से अगर आप लगभग ३० किलोमीटर हाईवे पर नागपुर की तरफ चले, और वहां पंखा रोड नाम कि जगह पर अपने बाएं हाथ की तरफ लगभग फिर से १२ किलोमीटर चलें तो आप पहुंच जाएंगे हमारे बोडकी गांव।  लॉक डाउन ने मन में एक खटास सी पैदा कर दी थी। घर में लेटे लेटे ना तो कोई फिल्म अब अच्छी लग रही थी और न लगभग एक ही तरह का कंटेंट परोसते यूट्यूब चैनल।  मन था तो बस कहीं एक शांत सी छोटी सी यात्रा करने का। जैसे ही लॉक डाउन में प्रशासन द्वा...