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मोरन ढाणा का आम का एक बाग

मोरन ढाणा का आम का एक बाग। 
आज 2022 मई की तेरह तारीख को बैतूल जिले के मोरण ढाणा गांव के एक आम के बाग में घूमने का मौका मिला। यह गांव, आमला तहसील में एवं तहसील मुख्यालय से, उत्तर दिशा में लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 
आमला तहसील से उत्तर की तरफ का क्षेत्र पठारी एवं पथरीली जमीन से बना हुआ है। भूजल स्तर इस दिशा में काफी नीचे है और इसी वजह से इस दिशा में फसल उतनी अच्छी पैदावार शायद नहीं देती है। 
आमला से बैतूल जाते हुए रास्ते में, पानी की कमी से सूखे हुए से खेतों के बीच आम के दो बगीचे कौतूहल का विषय रहते हैं। हमेशा से मन था की इनमे से एक बगीचे को जाकर देखा जाए, लेकिन बिना किसी परिचय के किसी के बगीचे में जाना भी एक दम से अच्छा नहीं लगता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चारों तरफ आम के बगीचों की भरमार है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहने के कारण ये दो आम के बगीचे मेरा ध्यान अनायास ही अपनी तरफ खींचते थे। संयोग से पता चला की एक बगीचा मेरे ही एक स्थानीय मित्र के परिवार का है। मैंने अपने मित्र से बगीचा देखने का आग्रह किया जिसको की उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया एवं आज हम उनके बगीचे में घूमने के लिए निकल पड़े। 

सबसे पहली बात जिसको मैंने गौर किया, वो यह थी की जमीन बहुत ही ज्यादा पथरीली है। जमीन का रंग लाल है, जो शायद लैटराइट मिट्टी की पहचान होती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाली दोमट मिट्टी से कम ही उपजाऊ जमीन इस क्षेत्र में प्रतीत होती है। जमीन में पत्थर बहुत ही ज्यादा हैं। इस जमीन में भी किसान खेती कर रहे हैं, तो ये क्षेत्र के किसानों की मेहनत का ही द्योतक हैं। नीचे दिए जा रहे दो चित्रों से खेतों में पाए जाने वाले पत्थरों की संख्या का पता लगाया जा सकता है। 
पत्थरों की अधिकता के कारण खेत की चारों ओर की मेडें भी पत्थरों की दीवार द्वारा बनाई गई हैं। 

दूसरी महत्वपूर्ण बात जो देखने को मिली, वो क्षेत्र में पानी की दिन प्रतिदिन होती जा रही है कमी है। उत्तर भारत में जिस तरीके से पानी का दोहन हो रहा है, उसका ठीक विपरीत मध्य भारत का यह क्षेत्र है। उत्तर भारत के किसानों को भी, अगर दोहन इसी तरह जारी रहा तो, पानी की ऐसी किल्लत का सामना भविष्य में करना पड़ सकता है। आम के बगीचे एवं उसके आस पास के दूसरे खेतों को पानी देने के लिए एक बहुत पुराना कुआं एवं तीन नलकूप मेरे इस मित्र द्वारा बनाए गए थे। पत्थर से बनाए गए इस कुएं को बारिश के पानी से भर लिया जाता है एवं साल भर इस पानी को प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। वर्षा जल संरक्षण का इससे अच्छा शायद ही कोई उदाहरण हो। ऐसे कुएं ज्यादातर खेतों में, इस क्षेत्र में बनाए गए हैं। 

स्थानीय मित्र द्वारा ही बताया गया कि गर्मी के इन दिनों में नलकूपों से आने वाले पानी की मात्रा कम हो जाती है एवं एक नलकूप लगभग 25 मिनट तक लगातार पानी गर्मी के इन दिनों में दे सकता है। 
वर्षा का जो जल, इन कुओं में संग्रहित करके रखा जाता है, वही किसानों के सिंचाई संबंधित ज्यादा काम गर्मी के दिनों में आता है। 

तीसरी बात जो गौर करने वाली थी वो ये थी की इस क्षेत्र में नलकूप से सिंचाई के लिए मिट्टी की मेड़ों से रास्ते नही बनाए गए हैं। उत्तर भारत में खड़ी बोली वाले क्षेत्रों में इन मेड़ों से बने पानी के रास्तों को खाल कहा जाता है। एक चित्र नीचे इंटरनेट से चुरा कर दिया जा रहा है जो कि पानी के इन रास्तों को पाठकों के लिए समझा सके। 
इस क्षेत्र में पानी ले जाने के लिए प्लास्टिक से बनाए हुए पाइप दबाए गए हैं। ये पाइप कई कई खेतों को पर करके ड्रिप इरिगेशन का प्रयोग करके खेतों में सिंचाई करते हैं। उत्तर भारत में इस तरह की सिंचाई तो शुरू हो गई है लेकिन जितनी बहुतायत में यह सिंचाई इस क्षेत्र में उपलब्ध है उतनी उत्तर भारत में नही है। पाठकों के लिए सिंचाई में प्रयोग हो रहे है ऐसे पाइप को नीचे दिया जा रहा है। 

शाम के समय, खेतों से चरने के के बाद घरों की तरफ वापिस लौटे रहे जानवर एवं उन जानवरों का मालिक को भी देखा। 
अंत में आपके लिए इस सुंदर से आम के बाग के कुछ फोटोज छोड़ रहा हूं। आशा है गर्मी के इन दिनों में ये आपको शीतलता का अहसास देंगे।
अपने सुझाव एवं शिकायत नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें और ब्लॉग को अपनी ईमेल अड्रेस से सब्सक्राइब करें।



Comments

  1. Nice ☺️☺️ sir ji

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  2. बहुत बढ़िया लिखा है आप ने

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  3. Are waah bhiya kya khub likha h padh kar maja hi aagya .wase m kuch acha likhne ki kosis kar raha hu.I kept on working on my first and best blog.
    Thank you.

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    Replies
    1. 😃😃
      Readers are eagerly waiting for your masterpiece

      Delete
  4. पानी मिट्टी और वर्षा की कमी के कारण यह आम सही से पक भी नहीं पाते होंगे और उससे पहले ही गिर जाते होंगे

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  5. आम की कौन सी किस्म के पेड़ है यहां पर

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है पथरीली जमीन पर देखकर लगता नहीं कि वहां आम हो सकता है

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  7. Again op blogpost.
    Lovely, keep writing.I appreciate you.

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  8. पढ़कर ऐसा लग रहा है कि हम आमबी के बाग में घूम रहे हैं

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  9. पढ़ कर ऐसा लगा जैसे अपनी आखों से देख लिया हो

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Thank you Very much for your suggestions and feedback

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