सहारनपुर में इस बार सावन के दौरान जाना हुआ। कई अलग अलग दुकानों से अलग अलग कारणों से घेवर इस बार खरीदना पड़ा। मुख्यत छः अलग अलग जगह से मैंने इस बार घेवर खरीदा। इन्ही जगहों से खरीदे गए घेवर का एक रिव्यू आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं।
6. छटवे नंबर पर है, सहारनपुर घंटाघर पर स्थित जनता स्वीट्स का घेवर। घंटा घर पर कई सारी दुकानें स्थित हैं। बहुत ही महंगी मिठाईयां इन दुकानों द्वारा बेची जाती रही है। लगभग क्वालिटी एवं रेट में सभी दुकानें एक ही जैसी है। इस बार सबसे पहले मैंने इसी दुकान से घेवर खरीदा। घेवर का रेट इस दुकान पर 700 रूपये किलो के करीब था। इतना ज्यादा रेट होने के बावजूद भी ये लोग घेवर का का जो ओरिजिनल स्वाद होता है, उसको मेंटेन नही कर पा रहे हैं। घेवर में खुशबू देने के लिए जबरदस्ती कुछ नई चीजों को डाला जा रहा है जिनसे की घेवर की ओरिजिनेलिटी नही रह गई है। चासनी के नाम पर अब इनके यहां घेवर पर चॉकलेट भी इस्तेमाल होनी शुरू हो गई है। सिर्फ सावन में मिलने वाली घेवर जैसी मिठाई को, साल भर मिलने वाली चॉकलेट मिलाकर, बर्बाद करने की कवायद इस समय, घंटाघर पर स्थित सभी दुकानों पर जोर शोर से चल रही है।
5. पांचवे नंबर पर रहेगा अनुपम स्वीट्स का घेवर। घेवर ठीक ठाक था। हालांकि सहारनपुर में अनुपम स्वीट्स एक बहुत बड़ा नाम है। बाहर से आने वाले लोग आंख मूंद कर अनुपम स्वीट्स की तरफ दौड़ते हुए नजर आते हैं। ऐसे में इन सभी लोगों को घेवर एक साधारण सी मिठाई ही नजर आएगी अगर वो अनुपम स्वीट्स से ही घेवर लेंगे तो। इसके अलावा ये महोदय घी से बने घेवर को भी 800 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेच रहे है। सहारनपुर जहां पर पूर्व में अनेकों बार, बड़ी बड़ी दुकानों पर मिलावटी मावा मिठाइयों में मिलता पाया गया है, ऐसे में घी से बने घेवर की बात हजम नही होती है। मिठाई बनाने वाले लोग, घी के प्रति पश्चिमी उत्तरप्रदेश के लोगों की आस्था का दोहन ही इस प्रकार की मिठाइयों को प्रचारित कर करते हैं। चीनी से बनी कोई भी मिठाई वास्तव में शरीर के लिए हानिकारक ही होती है, चाहे वो रिफाइंड से बनी हो या देसी घी से। जबरदस्ती, पढ़े लिखे लोगों द्वारा तथाकथित घी से बनाया गया घेवर खरीदना समझ से परे है।
4. चौथे नंबर पर नकुड तहसील के नवनिर्मित राजभोग मिठाई का है। नई नई दुकान बनाई गई है। तहसील स्तर पर बैठने की अच्छी सुविधा दी गई है एवं बहुत ज्यादा चका चौंध है। इसी चका चौंध के चक्कर में लेखक भी अपनी नकुड तहसील की सबसे प्यारी दुकान छोड़ कर इस दुकान पर पहुंच गया। नई दुकान है। घेवर के नाम पर कुछ भी बेचा जा रहा है। कीमत है 300 रूपये। लेकिन स्वाद के हिसाब से अगर पैसे देने हों तो शायद 50 रूपये से ज्यादा कीमत न हो।
3. नाथी चाट भंडार नकुड़ का घेवर तीसरे नंबर पर आता है। नकुड की बहुत पुरानी दुकान है। घेवर अच्छा पहले से ही यहां मिलता रहा है। कीमत है 300 रूपये। हालांकि थोड़ा मीठा ये लोग घेवर को रखते हैं।
2. गर्ग स्वीट्स खेड़ा अफगान का घेवर है दूसरे नंबर पर । 280 रूपये किलो के हिसाब से यहां घेवर मिल रहा है। टेस्ट बहुत अच्छा है। घेवर में मीठा ज्यादा नहीं है। मावे की लेयर भी बहुत ही बढ़िया इस घेवर में थी।
1. सबसे पहले नंबर पर जो घेवर मुझे पसंद आया, वो है कस्बा अंबेहटा के एक ठेले का घेवर। वास्तव में यह मिठाई का ठेला अंबेहटा के आसपास के गांवों में बहुत लोकप्रिय है। बहुत पुराने समय से यह लोग ठेले पर मिठाई बेचते हैं, और कई प्रकार की मिठाई अपने ठेले पर रखते हैं। यहां मिठाई का भाव था 320 रूपये। घेवर वाकई बहुत अच्छा है। घेवर में मीठा बिलकुल उपयुक्त अनुपात में मौजूद था। बहुत ही नरम घेवर इस ठेले द्वारा बेचा जा रहा है। अंबेहटा कस्बे के मुख्य बाजार में यह मिठाई का ठेला लगता है, एवं किसी भी व्यक्ति द्वारा आसानी से इस ठेले का पता आपको बताया जा सकता है। शाम के समय ही इन महोदय के दर्शन शायद ज्यादा होते है।
आशा है आपको मेरे ये रिव्यू पसंद आए होंगे। सहारनपुर जिले के अगर इसके अलावा कहीं और के घेवर आपको पसंद आए हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
लो भाई फिर से घेवर खाने का मन कर गया है!
ReplyDeleteरामपुर मनिहारन काधले वाले
ReplyDeleteAaj Tak suna nahi inke bare me।
Delete