सावन का महीना चल रहा है, लेकिन सहारनपुर जिले में लगातार कम होती बारिश एक विचारणीय प्रश्न बनता जा रहा है। कई लोगों से बात हुई एवं लोगों से इसके कारण जानने का प्रयास किया। लोगों से प्राप्त ऐसे ही कुछ कारणों को आपके समक्ष प्रस्तुत है।
1. सहारनपुर जिले के भूगोल विषय के छात्रों से इस बारे में बात हुई। भूगोल में स्नातक की पढ़ाई कर रहे सोनू जी ने बाइक से उतरते हुए हमे विषय की गहराई से अवगत कराया। महोदय पैंट एवं शोर्ट्स के बीच की कोई चीज पहने हुए थे। बाइक पर बैठे हुए यह चीज शोर्ट्स बनने के लिए घुटनो तक जाकर शोर्ट्स बनने की तरफ लालायित थी। सोनू जी ने बाइक से उतरते ही अपनी पूरी शारीरिक क्षमता का प्रयोग करते हुए इसे नीचे की तरफ खींचा एवं वापिस से इसको पैंट बनने की तरफ बढ़ा दिया। क्षेत्र में अपनी धुली हुई मोजों को लोगों को दिखाने का क्रेज इस नए बने फैशन की वजह है।
खैर सोनू जी ने क्षेत्र में निम्न दाब का क्षेत्र ठीक से न बन पाना, घटती हुई बारिश का कारण बताया। सोनू जी ने बताया की आर्द्र हवाएं जो पानी लेकर अपने साथ चलती है वो निम्न दाब के क्षेत्र की तलाश में आगे बढ़ती हैं। जैसे ही ये हवाएं बादलों को लेकर आगे बढ़ती हैं, क्षेत्र में काली घटाएं छा जाती हैं। काली घटाओं को देख कर पूरे सहारनपुर जिले के गांवों में भय का माहोल छा जाता है और हर गांव में अफरातफरी का माहोल बन जाता है। कोई अपनी धुली मोजों को अंदर रखने के लिए दौड़ पड़ता है तो कोई बाहर आंगन में बंधी हुई भैंस को अंदर करने के लिए। किसी के लिए चारपाई ज्यादा जरूरी है तो किसी के लिए आंगन में रखी हुई प्लेट।
इस अफरातफरी से निम्न दाब बना हुआ क्षेत्र प्रभावित हो जाता है और बादलों को अपना रुख किसी दूसरे जिले की तरफ करना पड़ता है।
उपाय पूछने पर बताया गया कि निम्न दाब वाले क्षेत्र को बनाए रखने के लिए सोनू जी रिसर्च द्वारा प्रयास कर रहे हैं। तत्कालिक उपायों में उन्होंने सारे आंगन को GI शीट्स से ग्राम पंचायत द्वारा ढकने की संस्तुति दी है। बहरहाल शासन की तरफ से किसी तरह का कोई अनुदान इस मद में अभी तक जारी नही किया गया है।
एक और मानसून शायद ऐसे ही गुजर जाए।
2. इसी विषय पर एक किसानों से भी बात हुई। क्षेत्र में इस बार हुई बारिश से ये लोग संतुष्ट नजर आए। रात में आई बारिश,जिससे की खेतों में फसल के पत्ते गीले हो गए थे, इन लोगो ने ऐतिहासिक बताया। सुबह के समय 2 मिनट के लिए आई बारिश के बाद इन लोगों ने हाथ जोड़ कर भगवान को धन्यवाद भी दे दिया था, जिससे की भगवान का दरबार के जल कल विभाग ने लोगों की संतुष्टि माना एवं तत्काल प्रभाव से बारिश को दूसरे क्षेत्रों में भेज दिया। पास ही खड़े हुए पंडित जी से, जो कि ऐसी चीजों की जानकारी रखते हैं, से जब पूछा गया की क्षेत्र के लोगों की इस वर्ष बारिश से हुई संतुष्टि भगवान के पास पहुंची है और इसी कारण से दूसरे क्षेत्रों में बारिश को भेज देने का प्रावधान किया गया है।
अगले वर्ष शायद लोगों की संतुष्टि शायद बारिश से न हो और भगवान शायद क्षेत्र को बारिश से सरोबार कर दें।
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